बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

आत्मविश्वास से संपन्न की परीक्षा

@ मौसमी पाण्डेय 
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यू तो ज़िन्दगी में ऐसे बहुत से मोड़ आते हैं जब आपको लगता है की जीवन बहुत ही मुश्किल है लेकिन अगर इंसान की इच्छा शक्ति मज़बूत हो तो हर मुश्किल काम से पार पाया जा सकता है, हसते - खेलते |
हम संगीत की परीक्षा दे रहे थे लेकिन हमें और परीक्षार्थियों के साथ नहीं बल्कि एक कमरे में अकेले परीक्षा देना होता था क्योकि हम सीढियाँ नही चढ़ सकते थे व्हील चेयर से और पेपर हमेशा दूसरी मंजिल पर होता था|
हमें पेपर मिला और बहुत ही बढियां पेपर आया था ,हमने लिखना शुरू किया पूरी मस्ती के साथ........लेकिन थोड़ी देर बाद हमारे रूम के बगल में संगीत की ही प्रयोगात्मक परीक्षा चलने लगी जिसमे बच्चे रागों को गा कर परफोर्म कर रहे थे.......हमें बहुत ही दिक्कत हो रही थी क्योकि हमें जो लिखना था उसे notation कहते है जिसमे की गाने की स्वरलिपि लिखी जाती है..., अब उसे लिखने के लिए मन में गुनगुना पड़ता है लेकिन उन बच्चो की गाने की आवाज़,तबला,हर्मोनियेम की आवाज़ से हम खुद को एकाग्र नहीं कर पा रहे थे, अंतत हमने परीक्षक (examinier) को बुलाया और उनसे विनीति की.......... मैडम हमें बहुत दिक्कत हो रही है इसलिए आप कृपा कर के बाहर (वरांडा था) बैठने दें क्योकि इस तरह टाइम बहुत बीत जायेगा और पेपर अच्छा होने के बावजूद लिख नहीं पाएंगे ............उन्हों ने कहा सवाल ही नहीं उठता ,आपके चलते हमें कितनी परेशानी होती है, आपको जो जगह दी गई है आप येही बैठिये और एहसान मानिये की हमने आपको मौका दिया परीक्षा देने का......... बस इतनी सी बात कही उन्हों ने की मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर मैंने अपनी पेन,पेपर और कॉपी वहीँ छोड़ी और व्हील चेयर के सहारे बहार निकल आई और बोला== आपने मुझे मौका दिया है?? मै व्हील चेयर पर हूँ ये मेरी मजबूरी है वरना मै भी शांति से सारे बच्चो के साथ exam दे रही होती, ये आपकी ड्यूटी है एहसान नहीं,आप ये कैसे भूल गईं?? इस बात की मै शिकायत करुँगी और इस परेशानी में exam नहीं दूँगी.................!!!

बस फिर क्या था........उनकी हालत ख़राब.........अरे मौसमी तुम बात नहीं समझ रही हो ,अच्छा ठीक है थोड़ी देर वेट कर लो शांति हो जाएगी तब-तक मै तुम्हे दूसरा रूम देती हूँ उसी वक़्त उन्हों ने मेरा रूम बदल दिया जहाँ भरपूर शांति थी ..........मूड तो ऑफ हो चूका था लेकिन फिर मैंने खुद पर कंट्रोल किया , (वैसे उस वक़्त मेरे लिए एक ग्लास पानी रख दिया गया था) और लिखना शुरू किया ३ घंटे बाद मैडम ने चाय के साथ एक लड़की से ये कहलवाया की तुम आधे घंटे और टाइम ले सकती हो..........!इतने टेंशन के बावजूद मेरी परीक्षा बहुत अच्छी हुई |
 
मेरी ऐसी कहानियों का सिलसिला अभी थमा तो नहीं लेकिन अभी तक मैंने ज़िन्दगी से ये ही सीखा कि  इंसान की इच्छा शक्ति मज़बूत होनी चाहिए और ग़लत के आगे कभी झुकना नहीं चाहिए. क्योकि अगर मै उस वक़्त उनकी बात सुनकर चुप हो गई रहती तो शायद वो अभी तक अपनी ड्यूटी को एहसान ही समझ रही होती और हम पेपर अच्छा आने के बावजूद अच्छे अंक नहीं पाते ............!!!
@ मौसमी पाण्डेय 

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